Mandir Ki Bhatakti Aatma - मंदिर की भटकती आत्मा

Admin
0



कमल अपने गाँव लौटा था। शहर में नौकरी के बाद कई सालों बाद वो अपने पुराने घर आया था। गाँव वही था, लेकिन अब कुछ बदला-बदला सा लगता था। गलियाँ वीरान थीं, और लोग जल्दी-जल्दी घरों में घुस जाते थे, जैसे सूरज ढलते ही कोई डर सताने लगता हो। कमल को ये सब अजीब लगा, लेकिन उसने ज्यादा ध्यान नहीं दिया। गाँव के बाहर एक पुराना मंदिर था, जो अब खंडहर बन चुका था। बचपन में वो वहाँ दोस्तों के साथ खेला करता था, लेकिन अब लोग उस मंदिर का नाम लेने से भी कतराते थे।


कमल की माँ ने उसे बताया, “बेटा, उस मंदिर में अब कोई नहीं जाता। लोग कहते हैं कि वहाँ एक आत्मा भटकती है।” कमल ने हँसकर बात टाल दी। “माँ, ये सब पुरानी कहानियाँ हैं। भूत-प्रेत कुछ नहीं होता।” लेकिन उसकी माँ गंभीर हो गई। “पिछले साल वहाँ एक लड़का गया था, रात को। सुबह सिर्फ़ उसकी चप्पलें मिलीं।” कमल को ये बात मज़ेदार लगी। उसे डरावनी कहानियाँ सुनना पसंद था, लेकिन वो इन्हें सिर्फ़ मनोरंजन मानता था।


अगले दिन कमल अपने बचपन के दोस्त रवि से मिला। रवि गाँव में ही रहता था और अब दुकान चलाता था। कमल ने मंदिर की बात छेड़ी। “यार, ये मंदिर वाली कहानी क्या है? लोग इतना डरते क्यों हैं?” रवि का चेहरा पीला पड़ गया। “कमल, तू शहर में रहता है, तुझे नहीं पता। उस मंदिर में कुछ ठीक नहीं है। रात को वहाँ से अजीब-अजीब आवाज़ें आती हैं—कभी रोने की, कभी हँसने की। गाँव वालों ने उसे ताला लगा दिया, लेकिन फिर भी लोग कहते हैं कि रात को मंदिर का दरवाज़ा अपने आप खुल जाता है।”


कमल को ये सब सुनकर और उत्साह हुआ। “चल, आज रात हम वहाँ जाएँगे। मैं देखना चाहता हूँ कि ये आत्मा कैसी है।” रवि ने मना किया, लेकिन कमल नहीं माना। आखिरकार, रवि ने हार मान ली। उसने अपने दो दोस्तों, संजय और मोहन, को भी बुला लिया। चारों ने फैसला किया कि रात 10 बजे मंदिर जाएँगे। कमल ने एक टॉर्च, रस्सी, और एक छोटा चाकू लिया, जबकि रवि ने एक पुराना ताबीज़ अपनी जेब में रख लिया, जो उसकी दादी ने उसे दिया था।


रात को जब चारों मंदिर की ओर निकले, तो गाँव में सन्नाटा था। चाँद की रोशनी में मंदिर का खंडहर दूर से ही दिख रहा था। मंदिर की दीवारें जर्जर थीं, और छत का कुछ हिस्सा ढह चुका था। मंदिर का दरवाज़ा लोहे का था, जिस पर एक बड़ा ताला लटक रहा था। लेकिन ताला टूटा हुआ था, जैसे किसी ने उसे जबरदस्ती खोला हो। कमल ने हँसकर कहा, “देखा, कोई न कोई गाँव का लड़का यहाँ मज़ाक करता होगा।”


चारों अंदर घुसे। मंदिर के अंदर ठंड थी, और हवा में एक अजीब-सी गंध थी, जैसे सड़ा हुआ मांस। मंदिर के बीच में एक पुरानी मूर्ति थी, जिसका चेहरा टूट चुका था। मूर्ति के सामने एक छोटा सा गड्ढा था, जिसमें कुछ सूखे फूल और जली हुई अगरबत्तियाँ पड़ी थीं। रवि ने धीरे से कहा, “कमल, यहाँ कुछ गलत है। हमें वापस जाना चाहिए।” लेकिन कमल ने उसकी बात अनसुनी कर दी। उसने टॉर्च जलाई और मंदिर के कोनों में देखने लगा। दीवारों पर कुछ अजीब-से चिह्न उकेरे हुए थे, जैसे कोई प्राचीन भाषा।


ये देखो,” कमल ने एक दीवार की ओर इशारा किया, जहाँ कुछ लिखा था। संजय ने पास जाकर पढ़ने की कोशिश की, लेकिन अक्षर धुंधले थे। “शायद कोई पुरानी पूजा की मंत्र है,” उसने कहा। लेकिन तभी मोहन ने चीखकर कहा, “ये देखो, ये तो खून है!” दीवार पर एक जगह लाल धब्बे थे, जो ताज़ा लग रहे थे। कमल ने छूकर देखा, और उसका हाथ गीला हो गया। “ये… ये खून है,” उसने काँपते हुए कहा।


चारों का दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था। तभी उन्हें एक हल्की-सी फुसफुसाहट सुनाई दी, जैसे कोई पास में खड़ा होकर कुछ बोल रहा हो। “कौन है?” कमल ने टॉर्च की रोशनी चारों तरफ मारी, लेकिन वहाँ कोई नहीं था। रवि ने घबराकर कहा, “कमल, अब चलते हैं। ये जगह ठीक नहीं है।” लेकिन कमल ने हिम्मत दिखाते हुए कहा, “अरे, शायद हवा की आवाज़ है। डरो मत।”


वे मंदिर के पीछे वाले हिस्से में गए, जहाँ एक अंधेरा गलियारा था। गलियारे के अंत में एक छोटा सा कमरा था, जिसका दरवाज़ा बंद था। कमल ने दरवाज़ा खटखटाया, लेकिन कोई जवाब नहीं आया। उसने धक्का दिया, और दरवाज़ा चरमराते हुए खुल गया। अंदर एक पुराना पूजा स्थल था, जिसमें एक छोटी मूर्ति थी। मूर्ति के सामने एक औरत बैठी थी, जो धीरे-धीरे मंत्र पढ़ रही थी। उसने सिर उठाया, और कमल की साँस अटक गई। उसका चेहरा पीला था, और आँखें खाली थीं, जैसे कोई मृत शरीर।


“आप… आप कौन हैं?” कमल ने काँपते हुए पूछा। औरत ने मुस्कुराकर कहा, “मैं तुम्हें लेने आई हूँ।” उसकी आवाज़ इतनी ठंडी थी कि चारों के रोंगटे खड़े हो गए। रवि ने ताबीज़ निकाला और उसे औरत की ओर फेंका, लेकिन वो हवा में गायब हो गया। औरत अब हँस रही थी, और उसकी हँसी मंदिर की दीवारों में गूँज रही थी।


चारों भागने लगे, लेकिन मंदिर का दरवाज़ा बंद था। कमल ने ताला खींचा, लेकिन वो नहीं खुला। तभी उन्हें अपने पीछे कदमों की आहट सुनाई दी। पलटकर देखा, तो वो औरत अब उनके सामने खड़ी थी। उसके बाल हवा में लहरा रहे थे, और उसके हाथ में एक पुराना चाकू था। “तुम यहाँ से नहीं जा सकते,” उसने कहा।


संजय ने चीखकर कहा, “ये चुड़ैल है!” और उसने पास पड़ा एक पत्थर उठाकर औरत पर फेंका। लेकिन पत्थर उसे छूकर सीधे दीवार से टकरा गया। औरत अब और पास आ रही थी, और मंदिर की दीवारें हिलने लगी थीं। कमल ने टॉर्च की रोशनी उस पर मारी, लेकिन रोशनी में वो गायब हो गई। चारों ने राहत की साँस ली, लेकिन तभी मंदिर की मूर्ति से खून बहने लगा।


“ये क्या हो रहा है?” मोहन चीखा। तभी गलियारे से कई और आकृतियाँ निकलीं—सभी के चेहरे धुंधले, लेकिन उनकी आँखें लाल चमक रही थीं। कमल ने चाकू निकाला और एक आकृति पर वार किया, लेकिन चाकू हवा में चला गया। रवि ने चिल्लाकर कहा, “ये सब आत्माएँ हैं! हमें यहाँ से निकलना होगा!”


चारों ने फिर से दरवाज़ा पीटना शुरू किया, लेकिन अब मंदिर की छत से मिट्टी और पत्थर गिरने लगे। कमल ने देखा कि मूर्ति अब हिल रही थी, जैसे उसमें जान आ गई हो। औरत की हँसी अब और तेज़ हो गई थी, और ऐसा लग रहा था कि वो चारों तरफ से आ रही है। संजय ने अपने फोन से मदद के लिए कॉल करने की कोशिश की, लेकिन फोन की स्क्रीन पर सिर्फ़ उस औरत का चेहरा दिख रहा था।


अचानक मंदिर का फर्श हिलने लगा, और एक गड्ढा बन गया। गड्ढे से काला धुआँ निकल रहा था, और उसमें से कई और आकृतियाँ बाहर आ रही थीं। कमल ने रवि को पकड़ा और चिल्लाया, “हमें मूर्ति को तोड़ना होगा! शायद ये इसका श्राप है!” चारों ने मिलकर मूर्ति पर हमला किया, लेकिन जैसे ही उन्होंने उसे छुआ, एक ठंडी हवा ने उन्हें पीछे धकेल दिया।


तभी औरत फिर से प्रकट हुई। इस बार उसका चेहरा और साफ था—उसके चेहरे पर खून बह रहा था, और उसकी मुस्कान इतनी भयानक थी कि चारों जम गए। “तुमने मुझे छुआ,” उसने कहा। “अब तुम मेरे हो।” कमल ने आखिरी बार दरवाज़ा तोड़ने की कोशिश की, लेकिन उसका शरीर जैसे पत्थर का हो गया। उसने देखा कि रवि, संजय, और मोहन अब हिल नहीं रहे थे। उनकी आँखें खाली थीं, और उनके चेहरों पर वही भयानक मुस्कान थी जो औरत के चेहरे पर थी।


सुबह जब गाँव वाले मंदिर पहुँचे, तो वहाँ सिर्फ़ कमल की चप्पलें और टॉर्च पड़ी थी। मंदिर का दरवाज़ा फिर से बंद था, और ताला वैसा ही जंग खाया हुआ था। गाँव वालों ने मंदिर को ताला लगा दिया, लेकिन रात को अब भी वहाँ से हँसी की आवाज़ें आती हैं। कुछ लोग कहते हैं कि मंदिर की मूर्ति अब हर रात हिलती है, और उस गड्ढे से काला धुआँ निकलता है। कमल और उसके दोस्तों का कोई अता-पता नहीं चला। गाँव वालों ने उस मंदिर को शापित मान लिया, और अब कोई वहाँ दिन में भी नहीं जाता।







<tr><td>56</td><td><a href="#">row56</a></td><td>Short Stories</td></tr>

Tags

Post a Comment

0 Comments
Post a Comment (0)

Made with Love by

Silo Template is Designed Theme for Giving Enhanced look Various Features are available Which is de…
To Top